बहरे हज़ज मुसद्दस सालिम
*बहारो फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है,
*ओ लाली फूल सी मेहदी लगा इन गौरे हाथों में
*अरे ओ शौख कलियों मुस्करा देना वो जब आये ।
*मुझे तेरी मुहब्बत का सहारा मिल गया होता ।
*भरी दुनिया में आख़िर दिल को समझाने कहाँ जाएं ।
*सुहानी चाँदनी रातें, हमें सोने नहीं देतीं ।
*किसी पत्थर की मूरत से महोब्बत का इरादा है
*चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएँ हम दोनों ।
*ये मेरा प्रेम पत्र पढ़ कर , कि तुम नाराज न होना ।
*कभी पलकों में आंसू हैं कभी लब पे शिकायत है |
*ख़ुदा भी आस्मां से जब ज़मीं पर देखता होगा
*ज़रा नज़रों से कह दो जी निशाना चूक न जाए
*मुहब्बत ही न समझे वो जालिम प्यार क्या जाने |
*हजारों ख्वाहिशें इतनी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले |
*बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं |
*मुहब्बत हो गई जिनको वो परवाने कहाँ जाएँ
*मुझे तेरी मुहब्बत का सहारा मिल गया होता |
*सुहानी रात ढल चुकी न जाने तुम कब आओगे
*कभी तन्हाईयों में भी हमारी याद आएगी |
*परस्तिश की तमन्ना है, इबादत का इरादा है |
*बहारो फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है,
*ओ लाली फूल सी मेहदी लगा इन गौरे हाथों में
*अरे ओ शौख कलियों मुस्करा देना वो जब आये ।
*मुझे तेरी मुहब्बत का सहारा मिल गया होता ।
*भरी दुनिया में आख़िर दिल को समझाने कहाँ जाएं ।
*सुहानी चाँदनी रातें, हमें सोने नहीं देतीं ।
*किसी पत्थर की मूरत से महोब्बत का इरादा है
*चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएँ हम दोनों ।
*ये मेरा प्रेम पत्र पढ़ कर , कि तुम नाराज न होना ।
*कभी पलकों में आंसू हैं कभी लब पे शिकायत है |
*ख़ुदा भी आस्मां से जब ज़मीं पर देखता होगा
*ज़रा नज़रों से कह दो जी निशाना चूक न जाए
*मुहब्बत ही न समझे वो जालिम प्यार क्या जाने |
*हजारों ख्वाहिशें इतनी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले |
*बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं |
*मुहब्बत हो गई जिनको वो परवाने कहाँ जाएँ
*मुझे तेरी मुहब्बत का सहारा मिल गया होता |
*सुहानी रात ढल चुकी न जाने तुम कब आओगे
*कभी तन्हाईयों में भी हमारी याद आएगी |
*परस्तिश की तमन्ना है, इबादत का इरादा है |
4 बार अरकान है, 3 बार नही। हजज़ मुसम्मन सालिम
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