Thursday, July 20, 2017

1222-1222-1222-1222 (बहरे हज़ज मुसद्दस सालिम)

बहरे हज़ज मुसद्दस सालिम

*बहारो फूल बरसाओ मेरा महबूब आया है,

*ओ लाली फूल सी मेहदी लगा इन गौरे हाथों में

*अरे ओ शौख कलियों मुस्करा देना वो जब आये ।

*मुझे तेरी मुहब्बत का सहारा मिल गया होता ।

*भरी दुनिया में आख़िर दिल को समझाने कहाँ जाएं ।

*सुहानी चाँदनी रातें, हमें सोने नहीं देतीं ।

*किसी पत्थर की मूरत से महोब्बत का इरादा है
     
*चलो इक बार फिर से अजनबी बन जाएँ हम दोनों ।

*ये मेरा प्रेम पत्र पढ़ कर , कि तुम नाराज न होना ।

*कभी पलकों में आंसू हैं कभी लब पे शिकायत है |

*ख़ुदा भी आस्मां से जब ज़मीं पर देखता होगा
*ज़रा नज़रों से कह दो जी निशाना चूक न जाए

*मुहब्बत ही न समझे वो जालिम प्यार क्या जाने |

*हजारों ख्वाहिशें इतनी कि हर ख्वाहिश पे दम निकले |

*बहुत पहले से उन क़दमों की आहट जान लेते हैं |

*मुहब्बत हो गई जिनको वो परवाने कहाँ जाएँ

*मुझे तेरी मुहब्बत का सहारा मिल गया होता |
   
*सुहानी रात ढल चुकी न जाने तुम कब आओगे

*कभी तन्हाईयों में भी हमारी याद आएगी |

*परस्तिश की तमन्ना है, इबादत का इरादा है |

1 comment:

  1. 4 बार अरकान है, 3 बार नही। हजज़ मुसम्मन सालिम

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