मेरे पसंदीदा गायक #मुकेश जी ,और उस पर लीरिक्स गोपाल दास नीरज जी के...सोने पे जैसे सुहागा ।
इस क्रम में आज फिर एक नायाब नगमा लेकर आया हूँ। आइये उसकी बह्र ऒर तकती देखें । 1965 में रिलीज हुई फिल्म- ‘नई उमर की नई फसल’ के लिए नीरज जी के ख्यालों से निकला यह गीत शेयर कर रहा हूँ, जिसे मुकेश जी ने संगीतकार रोशन जी के संगीत निर्देशन में, बेहद खूबसूरत तरीके से गाया, जिसमें गीतकार नीरज जी ने सौंदर्य को बहुत सुंदर तरीके से इस गीत में पिरोया है ऒर मुकेश जी ने अपनी खूबसूरत आवाज़ में इसे निभाया है :---
★★★★★★★★★
बह्र-
बहरे-मुतदारिक मसम्मन सालिम
◆◆◆◆◆◆◆◆◆
तकती:-
212 212 212 212
◆◆◆◆◆◆◆◆◆
देखती ही रहो आज दर्पण न तुम
प्यार का ये महूरत निकल जाएगा, निकल जाएगा
●
साँस की तो बहुत तेज़ रफ़्तार है
और छोटी बहुत है मिलन की घड़ी
गूँथते गूँथते ये घटा साँवरी
बुझ न जाये कहीं रूप की फुलझड़ी
चूड़ियाँ ही न तुम–
चूड़ियाँ ही न तुम खनखनाती रहो
ये शरमसार मौसम बदल जायेगा, बदल जायेगा।
●
सुर्ख होंठों पे उफ़ ये हँसी मदभरी
जैसे शबनम अँगारों की मेहमान हो
जादू बुनती हुई ये नशीली नज़र
देख ले तो ख़ुदाई परेशान हो
मुस्कुराओ न ऐसे —
मुस्कुराओ न ऐसे चुराकर नज़र
आइना देख सूरत मचल जायेगा, मचल जायेगा।
●
चाल ऐसी है मदहोश मस्ती भरी
नींद सूरज सितारों को आने लगे
इतने नाज़ुक क़दम चूम पाये अगर
सोते सोते बियाबान गाने लगे
मत महावर रचाओ–
मत महावर रचाओ बहुत पाँव में
फ़र्श का मरमरी दिल दहल जायेगा, दहल जायेगा
●
देखती ही रहो आज दर्पण न तुम।
★★★★★★★★★★
हर्ष महाजन
इस क्रम में आज फिर एक नायाब नगमा लेकर आया हूँ। आइये उसकी बह्र ऒर तकती देखें । 1965 में रिलीज हुई फिल्म- ‘नई उमर की नई फसल’ के लिए नीरज जी के ख्यालों से निकला यह गीत शेयर कर रहा हूँ, जिसे मुकेश जी ने संगीतकार रोशन जी के संगीत निर्देशन में, बेहद खूबसूरत तरीके से गाया, जिसमें गीतकार नीरज जी ने सौंदर्य को बहुत सुंदर तरीके से इस गीत में पिरोया है ऒर मुकेश जी ने अपनी खूबसूरत आवाज़ में इसे निभाया है :---
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बह्र-
बहरे-मुतदारिक मसम्मन सालिम
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तकती:-
212 212 212 212
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देखती ही रहो आज दर्पण न तुम
प्यार का ये महूरत निकल जाएगा, निकल जाएगा
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साँस की तो बहुत तेज़ रफ़्तार है
और छोटी बहुत है मिलन की घड़ी
गूँथते गूँथते ये घटा साँवरी
बुझ न जाये कहीं रूप की फुलझड़ी
चूड़ियाँ ही न तुम–
चूड़ियाँ ही न तुम खनखनाती रहो
ये शरमसार मौसम बदल जायेगा, बदल जायेगा।
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सुर्ख होंठों पे उफ़ ये हँसी मदभरी
जैसे शबनम अँगारों की मेहमान हो
जादू बुनती हुई ये नशीली नज़र
देख ले तो ख़ुदाई परेशान हो
मुस्कुराओ न ऐसे —
मुस्कुराओ न ऐसे चुराकर नज़र
आइना देख सूरत मचल जायेगा, मचल जायेगा।
●
चाल ऐसी है मदहोश मस्ती भरी
नींद सूरज सितारों को आने लगे
इतने नाज़ुक क़दम चूम पाये अगर
सोते सोते बियाबान गाने लगे
मत महावर रचाओ–
मत महावर रचाओ बहुत पाँव में
फ़र्श का मरमरी दिल दहल जायेगा, दहल जायेगा
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देखती ही रहो आज दर्पण न तुम।
★★★★★★★★★★
हर्ष महाजन
बहुत सुंदर,मुकेश जी और नीरज जी की आवाज़ में एक अलग ही बात थी ।
ReplyDeleteShukriyaa
Deleteमुकेश मेरे भी प्रिय गायकों में से हैं।
ReplyDeleteशुक्रिया सुशील कुमार जोशी जी ।
Delete
ReplyDeleteदुनिया की निगाहों में भला क्या है बुरा क्या
ये बोझ अगर दिल से उतर जाए तो अच्छा
ये ज़ुल्फ़ अगर... ये मेरी पसंदीदा पंक्ति है हालांकि साहिर की रचनाएँ मैंने उर्दू में भी पढ़ी हैं बेमिशाल - -
हर्ष जी आपका ज्ञान अपरम्पार है। बहुत सुंदर।
ReplyDeleteमैं बहुत दिन से आपके जैसे किसी कों ढूँढ रहा था।
कृपया मुझे ये बात दें कि आपसे संपर्क कैसे हो सकता है।
आपसे कुछ सीखना चाहता हूँ।
मेरा नम्बर है 9929888717
Email pandeynirbhay@gmail.com
Aap bhi agar ho sake to number etc de dijiye.