Thursday, October 4, 2018

तकती: होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा

दोस्तो,
इसी कड़ी में एक और गीत:

#जिसकी बह्र और तकती:

बहरे रमल मुसम्मन मख़बून महज़ूफ़
2122-1122-1122-22
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 जिसे जब भी मैं सुनता हूँ मेरी रूह तक कांप जाती है । देशभक्ति का  प्रेम से सराबोर मगर दर्द से भरा "हकीकत" फ़िल्म का ये गीत ,संगीतकार : मदन मोहन बोल दिए हैं गीतकार : कैफ़ी आज़मी साहब ने और
गायक हैं: भूपिंदर,  मोहम्मद रफ़ी, तलत महमूद-मन्ना डे
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 होके मजबूर मुझे उसने भुलाया होगा
ज़हर चुपके से दवा जानके खाया होगा
होके मजबूर...

भूपिंदर: दिल ने ऐसे भी कुछ अफ़साने सुनाए होंगे
अश्क़ आँखों ने पिये और न बहाए होंगे
बन्द कमरे में जो खत मेरे जलाए होंगे
एक इक हर्फ़ जबीं पर उभर आया होगा

रफ़ी: उसने घबराके नज़र लाख बचाई होगी
दिल की लुटती हुई दुनिया नज़र आई होगी
मेज़ से जब मेरी तस्वीर हटाई होगी
हर तरफ़ मुझको तड़पता हुआ पाया होगा
होके मजबूर...

तलत: छेड़ की बात पे अरमाँ मचल आए होंगे
ग़म दिखावे की हँसी ने न छुपाए होंगे
नाम पर मेरे जब आँसू निकल आए होंगे - (२)
सर न काँधे से सहेली के उठाया होगा

मन्ना डे: ज़ुल्फ़ ज़िद करके किसी ने जो बनाई होगी
और भी ग़म की घटा मुखड़े पे छाई होगी
बिजली नज़रों ने कई दिन न गिराई होगी
रँग चहरे पे कई रोज़ न आया होगा
होके मजबूर...

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8 comments:

  1. अत्यंत उपयोगी पोस्ट ।
    धन्यवाद ।
    www.kavitavishv.com

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    1. शुक्रिया प्रजापति जी ।

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  2. भूपिंदर, मोहम्मद रफ़ी, तलत महमूद-मन्ना डे के इस द‍िल को झकझोर देने वाले गीत को सुनकर आज भी सेना के जवानों की तल्ख़ हकीक़तें सामने आ जाती हैं, हर्ष जी धन्यवाद इसे शेयर करने के ल‍िए

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    1. अलकनंदा जी आपकी आमद और इस लेख को पसंद करने हेतु बहुत बहुत शुक्रिया ।
      सादर ।

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  3. सादर आभार आदरणीय सर पढ़वाने हेतु। आँखें नम हो गई।
    सादर

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    1. अनीता सैनी जी बहुत बहुत धन्यवाद ।

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  4. बहुत सुंदर पोस्ट,

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    1. शुक्रिया मधुलिका जी ।

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