दोस्तो आज उसी बह्र का ज़िक्र मैं दुबारा करूँगा जिसका जिक्र मैंने पिछले गीत में किया था ।
"पाँव छू लेने दो फूलों को इनायत होगी"
इसकी बह्र: और तकती
बहरे रमल मुसम्मन मख़बून महज़ूफ़
फ़ाइलातुन, फ़इलातुन, फ़इलातुन, फ़ेलुन
2122, 1122, 1122, 22(112)
इस बहर में 22 की जगह 112 भी इस्तेमाल हो सकता है
*****************************************
इस गीत में हमने गीत की तकती यूँ की :-
2122 1122 1122 22
लेकिन इस बह्र के गीतों में कई बार आखिरी शब्द की तकती में (22) की जगह (112) भी इस्तेमाल होता है ।
ये बात practically समझाने के लिए एक ही गीत में जहां दोनों अरकान इस्तेमाल हुईं हैं वही गीत यहां पेश किया है । उम्मीद है अब ये बह्र अच्छे से समझ में आएगी ।
आइए देखिए :
फ़िल्म: "मुहब्बत इसको कहते हैं" का ये गीत, मो0 रफ़ी साहब और सुमन कल्याणपुर ने गाया और संगीत दिया है खय्याम साहब ने । गीतकार है मज़रूह सुल्तानपूरी
*******************************
मुखड़ा देखिए :
ठहरिये होश में आलूँ तो चले जाइयेगा
आपको दिल में बिठालूँ तो चले जाइयेगा
इसकी तकती:
2122 1122 1122 112
आपको दिल में बिठालूँ.....
अब अंतरा देखिए:
कब तलक़ रहियेगा यूँ दूर की चाहत बनके – 2
दिल में आ जाइये इक़रार-ए-मुहब्बत बनके
अपनी तक़दीर बना लूँ तो चले जाइयेगा
2122 1122 1122 22
आपको दिल में बिठालूँ…
मुझको इक़रार-ए-मुहब्बत पे हया आती है – 2
बात कहते हुए गरदन मेरी झुक जाती है
देखिये सर को झुका लूँ तो चले जाइयेगा
हम्म… हम्म…
देखिये सर को झुका लूँ तो चले जाइयेगा
हाय, आपको दिल में बिठालूँ…
ऐसी क्या शर्म ज़रा पास तो आने दीजे – 2
रुख से बिखरी हुइ ज़ुल्फ़ें तो हटाने दीजे
प्यास आँखों की बुझा लूँ तो चले जाइयेगा
ठहरिये होश में आलूँ तो चले जाइयेगा…
****
अब आप चाहें तो इस गीत को पहले गीत की धुन पर गा सकते हैं ।
"पाँव छू लेने दो फूलों को इनायत होगी"
Enjoy both the Songs and their tune simultaneously.
"पाँव छू लेने दो फूलों को इनायत होगी"
इसकी बह्र: और तकती
बहरे रमल मुसम्मन मख़बून महज़ूफ़
फ़ाइलातुन, फ़इलातुन, फ़इलातुन, फ़ेलुन
2122, 1122, 1122, 22(112)
इस बहर में 22 की जगह 112 भी इस्तेमाल हो सकता है
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इस गीत में हमने गीत की तकती यूँ की :-
2122 1122 1122 22
लेकिन इस बह्र के गीतों में कई बार आखिरी शब्द की तकती में (22) की जगह (112) भी इस्तेमाल होता है ।
ये बात practically समझाने के लिए एक ही गीत में जहां दोनों अरकान इस्तेमाल हुईं हैं वही गीत यहां पेश किया है । उम्मीद है अब ये बह्र अच्छे से समझ में आएगी ।
आइए देखिए :
फ़िल्म: "मुहब्बत इसको कहते हैं" का ये गीत, मो0 रफ़ी साहब और सुमन कल्याणपुर ने गाया और संगीत दिया है खय्याम साहब ने । गीतकार है मज़रूह सुल्तानपूरी
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मुखड़ा देखिए :
ठहरिये होश में आलूँ तो चले जाइयेगा
आपको दिल में बिठालूँ तो चले जाइयेगा
इसकी तकती:
2122 1122 1122 112
आपको दिल में बिठालूँ.....
अब अंतरा देखिए:
कब तलक़ रहियेगा यूँ दूर की चाहत बनके – 2
दिल में आ जाइये इक़रार-ए-मुहब्बत बनके
अपनी तक़दीर बना लूँ तो चले जाइयेगा
2122 1122 1122 22
आपको दिल में बिठालूँ…
मुझको इक़रार-ए-मुहब्बत पे हया आती है – 2
बात कहते हुए गरदन मेरी झुक जाती है
देखिये सर को झुका लूँ तो चले जाइयेगा
हम्म… हम्म…
देखिये सर को झुका लूँ तो चले जाइयेगा
हाय, आपको दिल में बिठालूँ…
ऐसी क्या शर्म ज़रा पास तो आने दीजे – 2
रुख से बिखरी हुइ ज़ुल्फ़ें तो हटाने दीजे
प्यास आँखों की बुझा लूँ तो चले जाइयेगा
ठहरिये होश में आलूँ तो चले जाइयेगा…
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अब आप चाहें तो इस गीत को पहले गीत की धुन पर गा सकते हैं ।
"पाँव छू लेने दो फूलों को इनायत होगी"
Enjoy both the Songs and their tune simultaneously.
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