#तकती
दोस्तो अदाकारा तनुजा और माला सिन्हा ने 1966 में
आई "फ़िल्म: बहारें फिर भी आएंगी " से धूम मचा दी थी । जब कैफ़ी आज़मी का कलम बद्द किया ये गीत उन पर फिल्माया गया उनकी अदा के लोग दीवाने हो गए । इस गीत को आवाज़ देने वाले गायक महेंद्र कपूर उन दिनों मुहम्मद रफी की दूसरी कॉपी नज़र आने लगे थे ओ. पी. नय्यर साहब के संगीत ने इसमें ऐसी जान फूंकी की हर शख्स की ज़ुबाँ पर उन दिनों ये गीत चलने लगा ।
आइए इस गीत की तकती और बहर देखें :
बदल जाये अगर माली चमन होता नहीं खाली
बहारें फिर भी आती हैं बहारें फिर भी आयेंगी
(थकन कैसी घुटन कैसी चल अपनी धुन में दीवाने) – 2
(खिला ले फूल काँटों में सजा ले अपने वीराने) – 2
हवाएं आग भड़काएं फ़िज़ाएं ज़हर बरसाएं
बहारें फिर भी आती हैं बहारें फिर भी आयेंगी ।
1222-1222-1222-1222
(बहरे हजज़ मुसद्दस सालिम ।
***
दोस्तो अदाकारा तनुजा और माला सिन्हा ने 1966 में
आई "फ़िल्म: बहारें फिर भी आएंगी " से धूम मचा दी थी । जब कैफ़ी आज़मी का कलम बद्द किया ये गीत उन पर फिल्माया गया उनकी अदा के लोग दीवाने हो गए । इस गीत को आवाज़ देने वाले गायक महेंद्र कपूर उन दिनों मुहम्मद रफी की दूसरी कॉपी नज़र आने लगे थे ओ. पी. नय्यर साहब के संगीत ने इसमें ऐसी जान फूंकी की हर शख्स की ज़ुबाँ पर उन दिनों ये गीत चलने लगा ।
आइए इस गीत की तकती और बहर देखें :
बदल जाये अगर माली चमन होता नहीं खाली
बहारें फिर भी आती हैं बहारें फिर भी आयेंगी
(थकन कैसी घुटन कैसी चल अपनी धुन में दीवाने) – 2
(खिला ले फूल काँटों में सजा ले अपने वीराने) – 2
हवाएं आग भड़काएं फ़िज़ाएं ज़हर बरसाएं
बहारें फिर भी आती हैं बहारें फिर भी आयेंगी ।
1222-1222-1222-1222
(बहरे हजज़ मुसद्दस सालिम ।
***
This comment has been removed by a blog administrator.
ReplyDeleteबहुत सुन्दर प्रस्तुति, गीतकार का भी नाम आ जाता तो सोना में सुहागा हो जाता।
ReplyDeleteशुक्रिया ।
Deleteसुझाव के तहत गीतकार का नाम सम्मिलित कर दिया गटा है ।
शुक्रिया एक बार फुर ।