आइए दोस्तो एक पुराने गाने का पोस्टमार्टम उसकी तकती कर करें । एक मनभावन गीत
फ़िल्म- हम दोनो, गीत- साहिर लुधियानवी, संगीत- जयदेव, गायक- मोहम्मद रफ़ी । ।
" मैं ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया"
ये सारा गीत एक ही बहर और एक ही स्केल पर गाया गया ।
बहर :
221-2121-1221-212
***
इसी बहर पर आधारित फिल्म : अदालत का एक और गीत जिसे उसी धुन पर गुनगुनाइए :
गीतकार : राजेन्द्र कृष्ण, गायक : लता मंगेशकर, संगीतकार : मदन मोहन,
यूँ हसरतों के दाग मुहब्बत में धो लिए
फिर दिल से दिल की बात कही औऱ रो लिए ।
वही धुन वही बहर..... एक दूसरे के पूरक ।
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फ़िल्म- हम दोनो, गीत- साहिर लुधियानवी, संगीत- जयदेव, गायक- मोहम्मद रफ़ी । ।
" मैं ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया"
ये सारा गीत एक ही बहर और एक ही स्केल पर गाया गया ।
बहर :
221-2121-1221-212
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इसी बहर पर आधारित फिल्म : अदालत का एक और गीत जिसे उसी धुन पर गुनगुनाइए :
गीतकार : राजेन्द्र कृष्ण, गायक : लता मंगेशकर, संगीतकार : मदन मोहन,
यूँ हसरतों के दाग मुहब्बत में धो लिए
फिर दिल से दिल की बात कही औऱ रो लिए ।
वही धुन वही बहर..... एक दूसरे के पूरक ।
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