Saturday, August 7, 2021

शुतुर-गर्बा [ क़िस्त -1]

 उर्दू शायरी का एक ऐब : शुतुर-गर्बा [ क़िस्त -1]


[ कल इस मंच पर अनिशा जी ने उमेश मौर्या जी के एक पोस्ट पर -शायरी के एक ऐब "शुतुर-गर्बा ’का ज़िक्र किया था और मौर्या जी ने

पूछा था कि यह क्या होता है ?

वैसे मुझे लगता है कि आप में से बहुत से लोग इस ऐब के बारे में जानते होंगे। और जो नहीं जानते है उनके लिए लिख रहा हूँ।

हालाँकि इस ऐब पर मैने अपने ब्लाग " उर्दू बह्र पर एक बातचीत : क़िस्त 67 पर विस्तार से चर्चा किया है

डा0 शम्शुर्रहमान फ़ारुक़ीसाहब ने अपनी क़िताब " अरूज़ आहंग और बयान’ में लिखा है -

शे’र में ’ग़लती’ और”ऐब’ दो अलग अलग चीज़ हैं। ग़लती महज़ ग़लती है ।न हो तो अच्छा ।

मगर इसकी मौजूदगी में भी शे’र अच्छा हो सकता है ।जब कि ’ऐब’ एक ख़राबी है और शे’र की मुस्तकिल [स्थायी]

ख़राबी का बाइस [कारण] हो सकता है ।

उर्दू शायरी [ शे’र ] में मौलाना हसरत मोहानी ने जिन तमाम ऎब का ज़िक्र किया है उसमे से एक ऐब " शुतुर्गर्बा " भी शामिल है ।

शुतुर्गर्बा का लग़वी [शब्द कोशीय ] अर्थ "ऊँट-बिल्ली" है यानी शायरी के सन्दर्भ में यह ’बेमेल" प्रयोग के अर्थ में किया जाता है

[शुतुर= ऊँट और गर्बा= बिल्ली । इसी ’शुतुर’ से शुतुरमुर्ग भी बना है । मुर्ग= पक्षी । वह पक्षी जो पक्षियों में ऊँट जैसा लगता हो या दिखता हो--]

ख़ैर

अगर आप हिन्दी के व्याकरण से थोड़ा-बह्त परिचित हों तो आप जानते हैं

उत्तम पुरुष सर्वनाम                       -मैं-

                             एकवचन                      बहुवचन

मूल रूप                       मैं                          हम

तिर्यक रूप                   मुझ                         हम

कर्म-सम्प्रदान                 मुझे                       हमें

संबंध               मेरा,मेरे,मेरी                  हमारा.हमारे.हमारी

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मध्यम पुरुष सर्वनाम                 -’तू’

                                  एकवचन                    बहुवचन

मूल रूप                        तू                              तुम

तिर्यक रूप                   तुझ                             तुम

कर्म-सम्प्रदान              तुझे                            तुम्हें

संबंध                 तेरा-तेरे--तेरी                           तुम्हारे-तुम्हारे-तुम्हारी

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अन्य पुरुष सर्वनाम         -’वह’-

                                एकवचन                       बहुवचन

मूल रूप                        वह                             वे

तिर्यक रूप                   उस                              उन

कर्म-सम्प्रदान                उसे                           उन्हें

संबंध                       उसका-उसकी-उसके      उनका-उनके-उनकी

----   ------

अन्य पुरुष सर्वनाम-यह- 

                                 एकवचन                           बहुवचन

मूल रूप                         यह                               ये

तिर्यक रूप                    इस                                इन

कर्म-सम्प्रदान                  इसे                            इन्हें

संबंध इसका-           इसकी-इसके            इनका-इनकी-इनके

कभी कभी शायरी में बह्र और वज़न की माँग पर हम लोग -यह- और -वह- की जगह -ये- और -वो- वे- का भी प्रयोग ’एकवचन’

के रूप में करते है -जो भाव के सन्दर्भ के अनुसार सही होता है

शे’र में एक वचन-बहुवचन का पास [ख़याल] ्रखना चाहिए । व्याकरण सम्मत होना चाहिए।यानी शे’र में सर्वनाम की एवं तत्संबंधित क्रियाओं में "एक रूपता" बनी रहनी चाहिए

ख़ैर यह कोई बहुत बड़ा ऐब नहीं है ,लेकिन हर शायर को यथा संभव बचना चाहिए। आखिर ग़ज़ल तहज़ीब और तमीज की ज़ुबान जो है ।यह ऐब अनायास ही आ जाता है भावनाओं के प्रवाह में । मगर नज़र-ए-सानी पर यह पकड़ में आ जाता है

आयेगा क्यों नहींं। बेमेल शादी शुदा जोड़ी [कद-कामत के लिहाज़ से] जल्द ही नज़र में आ जाता है चाहे आपसी राब्ता मिसरा का या उनका जितना भी प्र्गाढ़ हो। हा हा हा हा ।

दौर-ए-हाज़िर [वर्तमान समय ] में नए शायरों के कलाम में यह दोष [ऐब] आम पाया जाता है । अजीमुश्शान शायर [ प्रतिष्ठित शायर] के शे’र भी ऐसे

ऐब से अछूते नहीं रहे हैं। हालाँ कि ऐसे उदाहरण इन लोगों के कलाम में बहुत कम इक्का-दुक्का ही मिलते है ।आटे में नमक के बराबर

कभी कभी यह दोष मकामी ज़ुबान के प्रचलन से भी हो जाता है । जैसे पूर्वांचल [ लखनऊ के आस पास नज़ाकत और नफ़ासत की जुबान में ] आप आइए --आप जाइए--आप बैठिए बोलते है

जब कि दिल्ली के आसपास --आप आओ---आप जाओ -आप बैठॊ --बोलते है । जो शायरी में झलक जाता है । नेक-नीयती के साथ ही बोली जाती है ।

आज इतना ही । अगले क़िस्त में कुछ मशहूर शायरो के कलाम में यह ऐब -उदाहरण के तौर पर पेश करेंगे।क्रमश:---

इस मंच के तमाम असातिज़ा से दस्तबस्ता गुज़ारिश है कि अगर कुछ ग़लतबयानी हो गई हो तो ज़रूर निशानदिही फ़रमाएँ कि आइन्दा मैं खुद को दुरुस्त कर सकूं~।

सादर

-आनन्द.पाठक-


4 comments:

  1. उम्मीद करते हैं आप अच्छे होंगे

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  2. Nice👍👍👍👍👍👍bahut khoob.

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  3. नमस्‍कार, शुतुर-गर्बा के बारे में जानकारी बहुत अच्‍छी लगी महाजन जी

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