शकील बदांयूनी जी का स्वर बद्ध किया, नॉशाद जी का संगीत बद्ध किया और रफी साहब का गाया , एक बहुत ही पुरानी फ़िल्म, मेरे महबूब का ये गीत और उसकी बहर ::
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ऐ हुस्न ज़रा जाग तुझे इश्क जगाये
बदले मेरी तकदीर जो तू होश में आये
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बहरे हजज़ मुसम्मन अखरब मकफूफ महजूफ
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