Thursday, July 22, 2021

कुछ मात्राओं के साथ सफर

 दोस्तो मात्रा गणना के भी कुछ नियम हमें याद रखने की ज़रूरत है ।

कुछ शब्द ऐसे होते हैं जी हमेशा हमें दुविधा में डाले रखते हैं । कुछ तो हमारी ग़ज़लों को ही बे-बह्र कर देती है । मैं यहाँ सिर्फ उन्हीं मूलभूत शब्दों का ही ज़िक्र करूँगा ।

ये नियम सिर्फ ग़ज़ल विद्या का ही स्रोत हैं हालांकि हिंदी छंद विद्या की मात्रा गणना से इसका अलग ही अस्तित्व होता है ।

अमूमन किसी शब्द में दो 'एक मात्रिक' व्यंजन हैं तो उच्चारण में दोनों  जुड़ शाश्वत दो मात्रिक दीर्घ बन जाते हैं । जैसे हम (ह+म) हम-2 ऐसे दो मात्रिक शाश्वत दीर्घ होते हैं । जिनको ज़रूरत के अनुसार 1  1 अथवा 1 नहीं किया जा सकता । जैसे-

पल,खल, घर, सम, दम आदि शाश्वत दो मात्रिक हैं।

शाश्वत का मतलब जो बदला न जा सके ।

शाश्वत दीर्घ अर्थात 2 है तो उसे अलग अलग दो लघु मात्रा (1 1)नही गिना जा सकता ।

मगर जिस शब्द के उच्चारण में दोनों अक्षर अलग अलग उच्चारित होंगे वहां ऐसा नही होगा ।

वहां दोनो लघु अलग अलग उच्चारित होंगे ।जैसे:

असमय----अ/स/मय

अ1  स1 मय2---/112

क्योंकि इनका उच्चारण भी अलग अलग होता है ।

असमय को 22  नहीं किया ना सकता ।

अगर 22 करेंगे तो उच्चारण अस्मय हो जाएगा ।

एक औऱ उदाहरण;-

हमसफ़रों ----2112

अलग अलग उच्चारण होगा तो भी

सुमधुर ---सु/म/धुर। 112

सुविचार---1121

गिरी---1 1

सुधि---1 1

लेकिन अरूज़ के वक़्त कुछ शब्दों में छूट भी ले लेते हैं ।

जैसे--सुधि 

सुधि के कंगन खनक रहे हैं ।

यहां सुधि को दो मात्रिक माना गया है ।

हमसफरों को भी आजकल 222 भी मान लिया जाता है ।


आदि आदि