Tuesday, April 24, 2018

वो जब याद आये

#तकती :
🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈
"एक ज़रूरी बात"
🎈🎈🎈🎈🎈🎈🎈
दोस्तो मेरा एक बहुत ही पसन्दीदा और  खूबसूरत नग़मा ...
फ़िल्म: पारसमणि
गायक/गायिका: मोहम्मद रफ़ी, लता मंगेशकर
संगीतकार: लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल
गीतकार: फारुख कैसर
अदाकार: गीतांजलि, महिपाल
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बोल हैं......

🌹मुखड़ा:

🍀वो जब याद आए बहुत याद आए
ग़म-ए-ज़िंदगी के अंधेरे में हमने
चिराग-ए-मुहब्बत जलाए बुझाए

🌹अंतरा:

🌺आहटें जाग उठीं रास्ते हंस दिये
थामकर दिल उठे हम किसी के लिये
कई बार ऐसा भी धोखा हुआ है
चले आ रहे हैं वो नज़रें झुकाए
🐤🐤🐤🐤🐤🐤🐤🐤🐤
दोस्तो एक बात का हमेशा ख्याल रक्खें कि जब भी किसी गीत की बहर और तकती के बारे यहाँ चर्चा हो तो समझना कि हम उस गीत के मुखड़े की तकती के बारे में बात कर रहे है।  ये ज़रूरी नहीं है कि उस गीत विशेष का अंतरा भी उसी बहर में हो ।
🐼🐼🐼🐼🐼🐼🐼🐼🐼
अब जैसे इसी गीत के बारे में देखिएगा ।

🍑#मुखड़ा : बहर
वो जब याद आए बहुत याद आए

122 122 122 122

🍑#अंतरा देखिए: और इसकी बहर देखिए:

🍑आहटें जाग उठीं रास्ते हँस दिये / आहटें जागु ठीं रास्ते हँस दिए ।
थामकर दिल उठे हम किसी के लिये ।
🎈बहर
212 212 212 212

हमने देखा एक ही नग्में में किस तरह दो बहरों से काम हो रहा है ।

अब इस गीत में जिस बहर पर अंतरा है उसी बहर पर एक मशहूर फिल्म हमराज़ का एक मशहूर नग़मा...

🍑तुम अगर साथ देने का वादा करो
मैं यूँ ही मस्त नग्में लुटाता रहूँ ।
212 212 212 212

अब देखिये ऊपर पहले गीत का अंतरा:.....

आहटें जाग उठीं रास्ते हँस दिये / आहटें जागु ठीं रास्ते हँस दिए ।

इस अन्तरे को आप इसी गीत (फ़िल्म हमराज़)की धुन  पर गा सकते हैं ।

☪☪☪

💐💐इसी सीरीज़ में फिर मिलेंगे💐💐

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