Thursday, July 20, 2017

2122 2122 2122 212 (बहरे रमल मुसम्मन महजूफ़ )

बहरे रमल मुसम्मन महजूफ़

2122  2122 2122  212

*चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद है

*दिल के टुकड़े टुकड़े कर के मुस्करा के चल दिए ।

*आपकी नजरों ने समझा प्यार के काबिल मुझे

*होश वालों को खबर क्या बेखुदी क्या चीज है

*यारी है ईमान मेरा यार मेरी ज़िंदगी

*मंज़िलें अपनी जगह हैं रास्ते अपनी जगह

*सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है

*ऐ गम-ए-दिल क्या करूँ ऐ वहशत-ए-दिल क्या करूँ |

*चार दिन की चांदनी है फिर अंधेरी रात है  |

*ऐ मेरे प्यारे वतन ऐ मेरे बिछड़े बलम

5 comments: