Thursday, July 20, 2017

122-122-122-122 (मुत़कारिब मसम्मन सालिम)


 यह बहर बड़ी ही आसान,सरल,सहज, दिलकश लोक प्रिय , गेय , संगीतमय मारूफ़ और मानूस बह्र है । यही कारण है कि हिन्दी फ़िल्मों में बहुत से गाने इसी बह्र में लिखे गये जो आज भी उतने ही लोकप्रिय कर्णप्रिय  है जितने कल थे ।

*तेरे प्यार का आसरा चाहता हूं ।

*वो जब याद आये बहुत याद आये।

*उठेगी तम्हारी नज़र धीरे-धीरे ।

*इशारों-इशारों में दिल लेने वाले ।

*तुम्हें प्यार करते हैं करते रहेंगे ।

*अकेले अकेले कहाँ जा रहे हो ।

*न तुम बे-वफ़ा हो न हम बे-वफ़ा है ।

*हमीं से मुहब्बत हमीं से लड़ाई
     
*मुझे दुनिया वालों, शराबी न समझो

*सितारों के आगे जहां और भी हैं ।

*ये महलों ये तख्तों ये ताजों की दुनियां

*मुझे प्यार की ज़िंदगी देने वाले ।

*मुहब्बत की झूठी कहानी पे रोए ।

*संभाला है मैंने बहुत अपने दिल को ।

*ये दौलत भी ले लो ये शोहरत भी के लो

*जो तुम आ गए हो तो नूर आ गया है

*ये माना मेरी जाँ मुहब्बत जवाँ है ।

*मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू ।

*जो वादा किया वो निभाना पड़ेगा ।

*जिन्हें नाज़ है हिन्द पर वो कहाँ हैं ।

*मुबारक हो तुमको समां ये सुहाना ।

*बने चाहे दुश्मन जमाना हमारा ।




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